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    अल्पसंख्यक विकास निधि योजना

    अल्पसंख्यक विकास निधि योजना
    • दिनांक : 17/08/2025 -

    अल्पसंख्यक विकास कोष की स्थापना अल्पसंख्यक क्षेत्रों में उनकी मांग के अनुसार अवस्थापना सुविधाएं उपलब्ध कराने तथा आर्थिक/शैक्षणिक विकास को बढ़ावा देने के लिए की गई है। इस योजना के अंतर्गत प्रतिवर्ष 4.00 करोड़ रुपए के आवंटन का प्रावधान किया गया है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में 5.00 करोड़ रुपए की धनराशि मुख्य रूप से मदरसों में शौचालय, स्वच्छ पेयजल, फर्नीचर तथा ईदगाहों के लिए चारदीवारी के निर्माण सहित अन्य संबंधित कार्यों के लिए आवंटित की गई है।

    दिशानिर्देश (अल्पसंख्यक विकास निधि)(पीडीएफ 1 एमबी)

    अल्पसंख्यक विकास निधि(राशि रुपये में)
    वर्ष प्रावधान व्यय योजनाएं/लाभ
    2021-22 300.00 293.43 11
    2022-23 500.00 459.88 27
    2023-24 500.00 479.44 10

    योजनाओं के तहत लाभ

    भारतीय संविधान के अनुसार अल्पसंख्यक मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं: पहला, धार्मिक अल्पसंख्यक और दूसरा, भाषाई अल्पसंख्यक। उत्तराखंड में धार्मिक अल्पसंख्यकों में मुख्य रूप से मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध और जैन समुदाय शामिल हैं। भाषाई अल्पसंख्यकों में मुख्य रूप से उर्दू भाषी, बंगाली भाषी और पंजाबी भाषी समुदाय शामिल हैं। वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार राज्य में धार्मिक अल्पसंख्यकों की जनसंख्या कुल जनसंख्या का लगभग 15.4% है। इस समुदाय के समग्र विकास के लिए भारत सरकार द्वारा हरिद्वार एवं उधमसिंह नगर जिलों में पीएमजेवीके (प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम) जिसे पूर्व में बहुक्षेत्रीय विकास योजना (एम.एस.डी.पी.) के नाम से जाना जाता था, क्रियान्वित की जा रही है। हालांकि, कुछ महत्वपूर्ण विकास कार्यक्रम इस योजना के दिशा-निर्देशों के अंतर्गत नहीं आते हैं, तथा इन दो जिलों के अलावा राज्य के शेष जिलों को इस योजना के अंतर्गत शामिल नहीं किया जा सकता है। इसलिए राज्य सरकार ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अंतर्गत 4.00 करोड़ रुपये की प्रारंभिक धनराशि से “अल्पसंख्यक विकास निधि” की स्थापना की है।

    उक्त लाभ के लिए पात्रता

    • यद्यपि विभिन्न विभागों द्वारा विभिन्न योजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं, लेकिन विभागीय योजनाओं का लाभ अल्पसंख्यक क्षेत्रों/गांवों तक महत्वपूर्ण अंतराल के कारण नहीं पहुंच पा रहा है। ऐसे क्षेत्रों में इन महत्वपूर्ण अंतरालों को दूर करने के लिए विभिन्न योजनाएं विकसित की जाएंगी।
    • ऐसी योजनाएं जो पीएमजेवीके के दिशा-निर्देशों के अंतर्गत नहीं आती हैं, लेकिन अल्पसंख्यकों के लाभ के लिए अत्यंत आवश्यक हैं, उन्हें भी इस योजना में शामिल किया जाएगा।
    • राज्य के मदरसों एवं अन्य अल्पसंख्यक संस्थानों में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए, उन संस्थानों को जो किसी भी कारण से भारत सरकार की आईडीएमआई योजना से वंचित हैं, उन्हें राज्य सरकार से अधिकतम 20.00 लाख रुपये (अनावर्ती) की सहायता मिलेगी। इस धनराशि में से 75 प्रतिशत धनराशि राज्य सरकार द्वारा तथा 25 प्रतिशत धनराशि संस्था द्वारा स्वयं वहन की जाएगी।
    • प्रदेश के ऐसे मदरसे जो भारत सरकार की मदरसा आधुनिकीकरण योजना के अन्तर्गत आते हैं, किन्तु उन्हें भारत सरकार से कम्प्यूटर शिक्षकों का मानदेय नहीं मिल रहा है, उन्हें भारत सरकार की दरों पर कम्प्यूटर शिक्षकों का मानदेय उपलब्ध कराया जाएगा।

    उपर्युक्त के अतिरिक्त अल्पसंख्यकों की मांगों के आधार पर अल्पसंख्यकों के विकास के सम्बन्ध में निदेशालय के माध्यम से प्राप्त प्रस्तावों पर समिति द्वारा गुण-दोष के आधार पर विचार किया जाएगा तथा उचित निर्णय लिए जाएंगे।

    लाभार्थी:

    37

    लाभ:

    390.84

    आवेदन कैसे करें

    सर्वप्रथम मदरसा प्रबंधक/ प्रधानाचार्य /संस्था द्वारा सामग्री एवं अवस्थापना विकास हेतु यथोचित प्रस्ताव संबंधित जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी/जिला समाज कल्याण अधिकारी को प्रस्तुत किये जाते हैं।

    संबंधित जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी/जिला समाज कल्याण अधिकारी द्वारा प्रस्तावों को तैयार कर अल्पसंख्यक कल्याण निदेशालय को प्रेषित किये जाते है।

    तद्नुसार जिला स्तर से औचित्यपूर्ण प्रस्ताव प्राप्त कर संकलित रूप से शासन को प्रेषित किये जाते है।

    शासन स्तर पर प्रेषित प्रस्तावों को स्वीकृत करने एवं प्रभावकारी क्रियान्वयन /मूल्यांकन तथा अनुश्रवण हेतु प्रमुख सचिव/सचिव, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग उत्तराखण्ड शासन की अध्यक्षता में एक संचालन समिति गठित है। गठित समिति की संस्तुति उपरान्त वित्तीय स्वीकृति प्रदान की जाती है।